रविवार, 14 जनवरी 2018

लघुव्यंग्य- धन्धा

लघुव्यंग्य- धंधा
सब्जी मंडी ।
"दस रुपये किलो टमाटर ..दस रुपये भाईसाब ..सस्ते में दे दिया ...बीस का माल दस में ...।"
तभी एक खरीददार  टमाटर के ढेर में से अच्छे टमाटर छांट कर अलग रखने लगा ।
"भाई जी ऐसे मत छाँटिए ..। विक्रेता ने उसे बीच में  ही टोका ।
"यार , इसमें तो आधे  खराब होते टमाटर हैं एक दिन भी नहीं चलेंगे  ..।"
"आपको जैसा है वैसा लेना पड़ेगा ।"
" सड़ते टमाटर लेकर क्या करूंगा ...।"
"हाँ तो आप आगे की दुकानों में देख लें  ..बीस रुपये  किलो में आपके मन पसंद टमाटर मिल जाएंगे।"
ग्राहक मुंह बनाते हुए आगे बढ़ गया ।
अबकि बार दुकानदार साथी दुकानदार से कह रहा -"नामालूम कहा के घिनहे लोग आ जाते माटी मोल सोना चाहते हैं ...।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें