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रविवार, 4 फ़रवरी 2018

लघु कथा -समर्पण

लघुकथा- समर्पण
वह छः माह बाद अपने गाँव लौटा था । मजदूरी के चक्कर में पूरे परिवार सहित पलायन कर जबलपुर चला गया था ।
 " रमलू कब लौटा ?" किसी ने उससे पूछा ।
" आज ही गुरूजी ।" उसका उत्तर ।
"एक बात पूछ सकता हूँ "। गुरूजी का प्रश्न ।
"क्यों नहीं गुरूजी ।बेशक पूछिए ।"रमलू चहकते हुए बोला ।
"यार तूने परिवार नियोजन अपनाया था । पर कल मैंने देखा तेरी पत्नी फिर भी गर्भ से है ।"
"का करें गुरूजी । बाहर जाने के बाद हम मजदूरों का यही हाल होता है । ज्यादा मजदुरी पाने के चक्कर में ठेकेदार को मेहनत के साथ-साथ  अपनी इज्जत भी समर्पित करना पड़ता है ।"

गुरुवार, 12 मई 2016

लघुकथा- इज्जत

लघुकथा- इज्जत

पिछले साल वर्मा परिवार की नौकरानी सुखिया की बेटी कल्लो ने पड़ोस के विजातीय युवक माधो से प्रेम विवाह कर लिया था | वर्मा जी ने उन्हें काफी ऊटपटांग तरीके से बुरी तरह से अपमानित करते हुए कहा था |’’ तुम गरीब लोगो को वाकई में इज्जत की ज़रा भी परवाह नहीं रहती | अरे तुम्हारी लड़की को कुछ तो सोचना चाहिए था न ....कम से कम तेरी इज्जत की ही खातिर  ....! क्या तुम्हारे समाज में लड़कों का अकाल पड़ गया है जो परजात को...|’’
गरीबी और उनके यहाँ काम करने के कारण भला क्या कहती सुखिया उन्हें | सो मन मसोसकर चुप रह गई |
 आज वर्मा परिवार की लाडली बिटिया सुमिता का वैवाहिक कार्यक्रम संपन्न हो रहा है | पिछले माह सुमिता ने राजधानी में रहते हुए अपने लिए खुद वर तलाश लिया था | लड़का विजातीय और पिछड़ी जाती का होते हुए भी यहाँ ‘’ निम्न जाति’’ शब्द आड़े नहीं आ रहा है | और न ही वर्मा परिवार की नाक कट रही है | बल्कि आए हुए मेहमानों के सामने उनके मुख से लडके का जमकर गुणगान किया जा रहा है | दरअसल वह अमेरिका की किसी कम्पनी में उच्च पद पर आसीन है |


सुनील कुमार ‘’सजल’