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रविवार, 21 फ़रवरी 2016

लघुव्यंग्य – गारंटी

लघुव्यंग्य – गारंटी

‘’ तुम भी शीला किस बुद्धि की हो ...छोटी-सी नौकरी में लगे लडके को अपनी फूल-सी बिटिया का हाथ थमाकर ढेर सारा दहेज़ दे बैठी .... और दूसरे लडके नहीं मिल रहे थे क्या |’’ सुनीति ने कहा तो वह बोली –‘’ लडके तो  बहुत मिल रहे थे .... पर इसमें बात कुछ और है |’’
‘’ क्या बात है हमें भी तो बताओ ?’’’
‘’ दामाद सरकारी नौकर है ... कम से कम रश्मि की रोजगार की गारंटी तो सुरक्षित है |’

‘’ मतलब |’’
‘’ बात सीधी-सी है कल दामाद की जिंदगी रही न रही तो रश्मि को अनुकम्पा नौकरी तो मिल जाएगी ...किसी के भरोसे तो जिंदगी नहीं काटनी पड़ेगी उसे ....अब शान्ति बहन की बिटिया पुनीता के हाल तो मालूम है न पति व्यवसायी था | देहांत हो गया | अब पुनीता के हाल देख रही हो न ....बच्चे मारे मारे फिर रहे हैं ... और खुद नौकर की भाँती ... कम से कम अपनी रश्मी तो ....|   शीला ने उदाहरण सहित समझाते हुए कहा |


  सुनील कुमार ‘’सजल’’ 

शनिवार, 14 नवंबर 2015

एक बकवास व्यंग्य – सलाह


 एक बकवास व्यंग्य – सलाह

हमारे पड़ोस के मस्तराम जी हमेशा दारू के नशे में मस्त रहते हैं | मगर मजाल है कि वे बहक जाएं | कभी किसी को अनाप -शनाप नहीं बोलते | छोटे –बड़े सभी उनके लिए आदर के पात्र हैं | वैसे वे एक अच्छे सलाहकार के रूप में पहचाने जाते हैं |मगर चंद जानकार लोंगो के बीच में | नादान  पड़ोसी उनका मजाक उड़ाने से नहीं चूकते | वे कहते हैं –‘’ शराबी के मुख से क्या निकलेगी शराब की बदबू |’’
पर ऎसी बात नहीं है , मस्तराम जी दीन- दुखियों की भी खबर रहते हैं | कोई पूछ ले उनसे , कहाँ घोटाला हुआ और सरकार का अगला रुख क्या होगा | मस्त्रक्म जी हाजिर जवाब मिलेंगे |
एक शाम मस्तराम के पास सलाह लेने पहुंचे बबुआ ने उनसे कहा-‘’ कक्का हम और कब तक बाप की छाती पर हाथी बनाकर बैठे रहेंगे | कोई नेक सलाह दो तो रोजगार वगैरह का आसरा बने |’
मस्तराम जी दारू की तीखी डकार लेते हुए बोले-‘ हमारे दिमाग में तुम्हारे लिए बेहतरीन रोजगार का फार्मूला है | कहो करोगे न |’
‘’ अगर आपकी सलाह है तो हम जरूर करेंगे कक्का |’ बबुआ ने हाथ जोड़कर कहा |
‘’देखो अगर तुमने हमारी सलाह मानकर रोजगार अपनाया , तो समझे तुम भी अरबपतियों की लिस्ट में छपे नजर आओगे |’’
‘’ कक्का हमें इतना बड़ा आदमी नहीं बनाना है | हम तो चाहते हैं पेट भर रोटी मिल जाए और घर-गृहस्थी बस जाए | इसके बाद अगर बचत होगी तो कुछ और सोचेंगे |’
‘’हाँ तो ठीक .... एक सलाह काम करो | शरमाना नहीं... हम जो रोजगार बता रहे हैं उसे कृते है | बात कान खोलकर सुन लो ... धंधे में अगर शर्म ओढ़कर बैठे तो समझो करम फूटे |’’
मस्तराम जी ने कहा |
‘’ अब कक्का तुम्हारी सलाह है तो हम बिलकुल नहीं शरमायेंगे | चाहे कुछ भी काम हो बस चार पैसा जेब आना चाहिए |’ बबुआ थोड़ा जोश में आकर बोला |
‘’ हाँ टॉप सुनो ... आजकल सेक्स पॉवर बढाने वाली दवाईयां की खूब मांग है | तुम भी बनाकर बेचो |’’
‘’ये तुम क्या कह रहे हो कक्का |’’बबुआ कुछ सिटपिटाते हुए बोला- ‘’ लोग का कहेंगे |’’
‘’ अरे मूर्ख तुझे क्या मालूम... आज के समय में जीतनी कैंसर व ब्लड प्रेशर नामक रोगों की दवा नहीं बिक रही भारतीय मुद्रा में उससे कहीं ज्यादा सेक्स पॉवर वाली दवाएं बिक रही हैं | समझा |’’ मस्तराम जी भौहें तानकर बोले |
‘’ अगर किसी अधिकारी ने पकड़ लिया तो |’ बबुआ बोला |
‘’ का सड़क किनारे ये दवाएं नहीं बिक रही ? जो तुम जैसे नंगे को पकड़ेगें ...| अगर पकड़ें भी गए तो आधी दवाई मुफ्त उन्हें दे देना |’’
‘’ पर बनायेंगे कैसे ?
‘’ अब ये भी हम ही से पूछोगे तो सुन लो .... हल्दी , काली मिर्च  तीन प्रकार के मेवा और कुछ जड़ी-बूटी जो तुम जानते हो .... सबको मिलाकर बारीक पीस लो और पैकेट में भरकर आयुर्वेदिक के नाम से बेचो | मूल्य पहले ज्यादा बताना .... जब लोग कम में मांगे तो पहले न करना फिर दे देना |’’ मस्तराम जी ने सलाह भरे अंदाज में कहा |
‘’ कक्का कोई और दवा बताओ | इस दवा को बेचने में हमें शर्म आती है |’’ बबुआ बोला |
‘’ खाने वाले को शर्म नहीं आती तुझको बेचने में काहे शर्म आती है .... चल फूट .... निकम्मा कहीं का |’’ बबुआ ने वहां से खिसकने में ही खैरियत समझी |
अगले दिन पडोसी गाँव के ही रम्मूलाल जी, मस्तराम जी से सलाह मांग रहे थे | ‘’ कहो रम्मू कैसे आना हुआ |’’
‘’ क्या बताएं कक्का.... हम तो अपनी पड़ोसन से परेशान हैं | ‘’रम्मू गंभीर होकर बोला |
‘’ का आंख मारती है .... जो तुम अधेड़ होकर परेशान हो |’’ मस्त राम जी ने मस्त मस्त अंदाज में कहा |
 ‘’ मजाक की बात नहीं है कक्का | का है कि उस औरत ने दो साल पहले हमसे पांच हजार रुपये कर्जे में लिया था | अब हम जब केवल मूलधन मांग रहे हैं तो हमें धमकी दे रही है | ब्याज देने की तो कुब्बत ही नहीं है उसमें | ‘’
‘’ का धमकी दे रही है ?’ मस्तराम जी कान खुजलाते हुए बोले | ‘’ छेड़छाड़ के केस में फंसा दूंगी|’’
‘’ तुम का बोले | मस्तराम ने अगला प्रश्न किया |
‘’ का बोलते ... चुप रहे |’’ रम्मू बोला |
‘’ बेवकूफ बोल देते पहले छेड़छाड़ कर लेने दो फिर फंसवा देना |’’
‘’ये तुम का सलाह दे रहे हो कक्का हमें उससे पंगा थोड़ी न लेना | हमें तो अपने पैसे वसूलना है |’’ रम्मू बोला ‘’अगर पैसे नहीं दिए तो ,......|’
‘’ का करेंगे चुपचाप भूल जायेंगे | ‘’
‘’ फिर सलाह माँगने काहे आये हो ....|’’रम्मू लाल खामोश होकर रह गए |
    सलाह मिली भी तो ऐसी , उगलने की न निगलने की |

        सुनील कुमार सजल