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गुरुवार, 1 मार्च 2018

लघुव्यंग्य- हमने तो यही कहा था

लघुव्यंग्य-हमने तो यही कहा था
यूँ तो राजधानी बहुत सी विशेषताओं के अलावा हड़तालों ,जुलुस और रैलियों की भीड़ के लिए भी पहचानी जाती है ।
 ऐसे ही एक कर्मचारी संगठन की हड़ताल जारी थी ।लगभग माह भर बाद सरकार ने उन्हें वार्ता हेतु बुलाया। आखिरकार शासन और हड़ताली प्रतिनिधियों के बीच वेतन बढ़ोतरी को लेकर समझौता हुआ।  हड़ताल समाप्त कर कर्मचारी वापस काम पर लौट गए ।
 एक माह बाद शासन ने वेतन बढ़ोतरी का आदेश जारी किया ।आदेश के तहत मात्र पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी की गयी थी । शासन और कर्मचारी प्रतिनिधियों पर सांठ-गाँठ का आरोप जारी हो गया ।हर कर्मचारी अपने-अपने ढंग से आरोप लगा रहा था । कर्मचारियों के बढ़ाते दबाव के चलते कर्मचारी
प्रतिनिधि पुनः मंत्री जी से मिले ।
" सर, यह क्या बढ़ोतरी की आपने ।वेतन स्तर सुधार करने की बजाय ऊंट के मुंह में जीरा की तरह बढ़ोतरी किया गया ।"
मंत्री जी मुकुराये । बोले- भाई ,हमने वेतन बढ़ोतरी का वादा किया था ।सो बढ़ा दिया ।और तो कुछ कहा नहीं था । इधर राज्य की वित्तीय स्थिति का भी ध्यान रखना मेरे भाईयों  ....।"
  मंत्री जी की कुटिलता पर  कर्मचारी प्रतिनिधि सन्न ।