शुक्रवार, 12 मई 2017

समय की बात

           समय की बात
आदमी एटीएम , बैंक काउंटर , अधिकारी के शिकायत कक्ष , माता के दरबार में कतार में खडा बड़ा  शालीन व सभ्य  नजर आता है ,मगर भंडारा , मिटटी के तेल हेतु मार्केटिंग सोसायटी के सेल काउंटर में , मंगल कार्यक्रम के प्रीतिभोज में .....हा ..हा..हा.. हा .....?

                  सुनील कुमार ‘’सजल’’

गुरुवार, 11 मई 2017

समय की बात – महंगाई भत्ता

समय की बात महंगाई भत्ता
 इधर सरकार ने महंगाई भत्ता बढाया | सुनकर खबर मकान मालिक किरायेदार के पास आया | बोला- भाई जी , मकान किराये में मैं पांच प्रतिशत की वृद्धि करने जा रहा हूँ |’
‘’ लेकिन भाईसाब मकान किराया बढाए आठ महीने भी नहीं  हुए और आप फिर...|’’
‘’ सरकार आपका महंगाई भत्ता महंगाई वृद्धि दर अनुसार ही तो बढ़ाती हैं न .. अभी आपका महंगाई भत्ता सात प्रतिशत बढ़ा तो मैं पांच प्रतिशत की वृद्धि कर कौन सा बुरा कर रहा हूँ ...|’’
किरायादार प्रश्नवत...मूक दृष्टि ....!
            सुनील कुमार ‘’सजल’’

मंगलवार, 9 मई 2017

समय की बात – कुत्ते की मौत ...काश !

समय की बात कुत्ते की मौत ...काश !
पिछले दिनों सड़क किनारे खडी एक कुतिया किसी बड़े वाहन के चपेट में आ गयी | वहीँ उसका दम टूट गया | दूर कहीं खेल रहे उसके पिल्लै भी उस तक आ गए | उसके स्तन से लग कर दूध पीने लगे |दृश्य बड़ा दर्दनाक था | उसी समय उसे देखकर दो-तीन जवान कुत्ते भी आ गए |
एक ने कहा- ‘’ इसे कहते हैं कुत्ते की मौत ...| कुतिया तो दम तोड़ दी | पिल्लै अब स्तन चूसने में लगे हैं | इतने मानव लोग देखकर  गुजर रहे ...मगर देखकर ही बोल बतिया लेते हैं .. है कोई उनके मासूम पिल्लों के लिए चर्चा तक नहीं किया | काश यह किसी इंसान के साथ बीतता तो ...| चार लोग दौड़ जाते .. अस्पताल पहुचाते ... बच्चे को पुलिस या उसके रिश्तेदार को सौपतें ....|
‘’ मगर यह तो पड़ोस के एक घर में रहती पलती थी ...| दूसरे ने बीच में बोला  |
‘’ साला वह भी  दो तीन लोगों के साथ आया देखा ..और उसके बहते खून को देखकर थूककर चला गया |’’
‘’ साला .. अपने स्वार्थ व   वफादारी की उम्मीद तक ही इससे रिश्ता बनाकर रखा था | कुत्ता साला ...|’’
‘’ अबे उसे कुत्ता कौन कहेगा .. कुत्ते तो हम हैं जो ज़रा सा जूठन खाने को मिला नहीं कि खिलाने वालों के आगे दम हिलाने लगते हैं ... सुधर जाओ कुत्तों वरना इस कुतिया से बदतर मौत के साथ इस दुनिया से जाओगे ....| पहले ने अकड़कर जोर से भौकते हुए कहा |
                  सुनील कुमार ‘’सजल’’

                                            

सोमवार, 8 मई 2017

बात की बात – वो ज़माना था सीटीबाजों का...

बात  की बात वो ज़माना था सीटीबाजों का...
अब तो सीटी बजाने का समय गया साब |अब लोग मोबाइल पर ही फुसफुसा लेते  हैं अपनों से .| दोस्तों यारों को घर वालों के डर से सीटी बजा कर बुलाते थे |एक युग था जब कुछ सड़क छाप टाइप के प्रेमी लोग भी लड़कियों के हॉस्टल  , महाविद्यालय, या फिर उसके घर के सामने से सीटी  बजाते हुए निकलते थे | तो लगता था कोई पागल प्रेमी प्यार की तड़प को अपनी सीटी के माध्यम से सुनाते हुए गुजर रहा है | सीटियाँ भी तरह तरह से बजायी जाती थी | कभी बांसुरी नुमा तो कभी ट्रेन  इंजिन के हार्न की धुन में  | तब लोग सीटी  बजाने  की प्रैक्टिस  किया करते थे ‘’ यार बताना तू इतनी सुरीली सीटी कैसे बजा लेता है |अबे मैं तो बजाकर परेशान हूँ , जब भी बजाने का प्रयास करता हूँ सड़क पर घिसटते टायर की तरह आवाज निकलती है या फिर फूस की आवाज आती |
कुछ प्रेमिकाएं टाइप की लड़कियां अपनी अटारी  पर आकर अपने प्रेमी की सीटीनुमा आवाज सुनने के लिए तड़पती थी |शाम ढलने की बेला में वे छत पर आ जाती थी या फिर आँगन में|प्रेमी भी साइकिल पर सवार होकर किसी गाने की लाइन  को अपने सीटी नुमा स्वर  में ढालकर प्रेमिका के घर की तरफ देखते हुए गुजरता था | तब वह खुद को कृष्ण व अपनी प्रेमिका को राधा से कम समझने की भूल नहीं करता था |
कुछ एक एक तरफा प्यार में पागल प्रेमी अपनी पसंदीदा छोकरी को पटाने के लिए अपना काम छोड़ सीटी के अभ्यास में लगा रहता था | वह किस धुन पर सीटी बजाये की उसके तरफ न देखने वाली लड़की भी मुस्कुराकर उसकी तरफ देखती रह जाए | छेड़छाड़ भी सीटी की धुन पर होती थी | फिल्मों में लड़की पटाने वाला हीरो भी लगभग सीटी बजाकर प्रेमिका से छेड़छाड़ करता , गीत गाता था |
  उस समय अगर घर में कभी पति सीटी बाजाकर मन बहलाने की कोशिश करते  | पत्नियां सवालों के तीर छोड़ने लगतीं ,’’ क्या बात है आजकल बहुत सीटी बजाने लगे हैं , कहीं कोई चक्कर-वक्कर या फिर सौतन लाने का इरादा है क्या |’’
उस समय सीटी बजाना सिर्फ लड़की पटाने का साधन मात्र नहीं समझा जाता था| बल्कि टाइम पास साधन भी था | कुछ लोग अपनी बोरियत को दूर करने के लिए शाम के समय नदी या तालाब किनारे बैठकर सीटी की धुन बजाकर अकेले होने का टाइम पास  करते थे | या फिर टहलते हुए सीटी बजाते थे|
तब पुलिस वाले ज्यादा ध्यान नहीं देते थे | बजाने दे यार साला पागल होगा |बस परिचालक भी मुंह से सीटी  बजाकर बस रुकवा देते थे | क्योंकि बसों में आधुनिक टाइप बेल नहीं लगी होती थी |
मगर आज वो  ज़माना नहीं रहा | सीटी पर से धुन निकालने वाले लोग भी नहीं रह गए |सीटी बजाकर किसी छोरी के घर के तरफ देखते हुए निकल जाइए | फिर देखिये अपनी नौबत लाने का तमाशा | जूते तो  पड़ेगें और 100 डायल पुलिस वाहन भी आ जाएगा | आपको उठाने के लिए| इसलिए कभी सीटी बजाकर गुनगुनाने का मन हो तो सूनसान जगह चुनी या फिर बंद कमरे में गुनगुनाइएगा साब  ....|
                  सुनील कुमार ‘’सजल’’

                                            

रविवार, 7 मई 2017

बात की बात – शादी में ...दारु

बात  की बात शादी में ...दारु
यारों शादी अगर दारू का दौर न चले तो सारा मजा किरकिरा हो जाता | दोस्त लोग होने वाले दुल्हे से कहते हैं अबे कित्ती की मंगा रहा है भाई अपन तो फलां ब्रांड  की पियेंगे तो जाएंगे बारात में नहीं तो तू जा |दुल्हे को भी पता होता है शादी में किसिम किसिम के डांस वही कर सकता जिसके बदन पर दारू देवी सवार होती है |वरना बिना पिए दोस्त बारात में ऐसे चलते मानो मैयत में जा रहे हों |उतरेहुए चेहरे ,होठों से मुस्कान भी ऐसे गायब जैसे होठों पे कीड़े ने काट लिया हो |इसलिए पीना -पिलाना पड़ता है | उधर लड़की वाले कहते दारूखोरों को बारात में मत लाना | तो फिर दुल्हे का बाप किसे ले जाए ,शवयात्रा के अनुभवशील पदयात्रियों को और किस्से डांस करवाए |
दोस्तों शादी के अवसर पर डांस का राज दारू  ही में छिपा है |बिना पिए आदमी से ज़रा डांस कराकर देखो | ऐसे डांस करता है जैसे घोड़ी उछल रही है | किसी पेड़ की शाखा हवा में हिल रही है |
इसलिए भैया दुल्हे के दोस्त पीकर  तो जाएंगे ही | दुल्हे का बाप  न भी बुलाये  तो भी वे बस में लटक आ जाएंगे | लड़की का बाप हाथ उठाकर कह भी दे भैया तुम्हारे बाराती पिटे तो अपन नहीं जानते काहे की वे पियेंगे तो डांस को लेकर लड़ेंगें |दरअसल स्थानीय नशे में द्युत दारूखोर भी डांस करने मूड में बारात के बीच में  घुस आते है और वे भी डांस करने लगते | इसी बीच धक्का-मुक्की ,हाथापाई शुरू होती है |इधर पीटने वाले पीटते रहते हैं | पिटने वाले पिटते रहते है |वैसे जब तक बाराती या घराती शादी में नहीं पिटते , शादी यादगार नहीं रह जाती |पीटने या पिटने के बाद दोस्तों के बीच कई दिनों तक फलां की बारात चर्चा का विषय बनी रहती हैं |
वैसे बरात में पीने वाले बड़े अजीब जीव होते हैं | कुछ चोरी –छिपे पीने वाले ऐसे ही अवसर ढूँढते हैं |और जब पीते हैं तो ऐसा पीते हैं कि उन्हें ढूँढना पड़ता है की भाईसाब नाली में पड़े है कि सड़क किनारे ऊगे बेशरम की झाड़ियों के बीच | दूसरे किस्म के वे होते हैं जो पीते हुए अपने गुट के साथ किस गाने पर कौन सा डांस करना है का मूड बनाते हैं |तीसरी किस्म उन लोगो की होती है जो पीते तो है मगर थोडा कम मगर सामने वाले को उनके पीने का अहसास न हो इसलिए रात में भी आँखों में रंगीन चश्मा चढ़ाकर रखते हैं |या तो बात पर मुस्कराते हैं या फिर दुनिया का गम अपने ऊपर लादे नजर आते हैं |
 भाईसाब देखा जाए तो अवसर के हिसाब से शराब बुरी चीज नहीं है |आजकल बिना शराब के रातें,बातें,व शरारते रंगीन होती हैं क्या |
                  सुनील कुमार ‘’सजल’’
       

शनिवार, 6 मई 2017

बात की बात – गम

बात  की बात गम
‘’ साले इतनी छोटी उम्र में नशा करते तुझे शर्म नहीं आती |’’ थानेदार ने उसके गाल पर थप्पड़ जमाते हुए पूछा |
‘’का करें साब मजबूरी है |उसने मिमियाती आवाज में कहा |
‘’काहे की मजबूरी बे ?’’
‘’ गम भुलाने की |’’
‘’किस बात का गम बे किसी छोरी का |’’
‘’जी नहीं साब | मां-बाप का |’’
‘’ का वे मर गए हैं....|’’
जी नहीं |’’
‘’तो काहे का गम बे |’’
‘’ साब वे खुद अपना गम भुलाने के लिए नशे में डूबे रहते हैं | मेरा ख्याल तक नहीं रखते |इसलिए मैं भी उनका गम भुलाने के लिए....|’’
‘’
               सुनील कुमार ‘’सजल’’


बात की बात – प्रत्युत्तर

बात  की बात – प्रत्युत्तर
‘’ तुम एक सभ्य  व संस्कारित  घराने के लडके होकर भी हमेशा दूसरों की आलोचना करते व झूठी बातों  को महत्व  देते हुए मिलते हो | तुम्हारी यह आदत ठीक नहीं है | अपनी आदत में सुधार लाओ | ‘’ एक अधेड़ से व्यक्ति ने १८-१९ वर्षीय युवक को डपटते हुए कहा  |
‘’नहीं ला सकता अंकल|’’ उसने मुस्कराकर जवाब दिया |
‘’ क्यों ? ऐसी क्या मजबूरी है ?’’
‘’ मुझे एक सफल राजनीतिज्ञ जो बनाना है |’’
               सुनील कुमार ‘’सजल’’