रविवार, 28 जनवरी 2018

लघुकथा - सोच

लघु कथा - सोच
" रमेश सुना है ,आजकल तुम गरीब बस्ती बहुत दिख रहे हो । धनाढय पिता का प्रश्न  ।
"हाँ ,मैं गरीबों की मदद करने जाता हूँ ।उन्हें मुफ्त शिक्षा दे रहा हूँ ।"
" क्या मुफ्त शिक्षा ?"पिता आश्चर्य से। "नालायक मैंने इसी काम के लिए  तुझ पर  लाखों रुपये खर्च कर डिग्रियां दिलाया । अपनी चिंता कर ।कोई विशाल कान्वेंट स्कूल खोल जहां लाखो रुपये हाथ आएंगे । उन गरीबों की चिंता सरकार करे ।उसकी जिम्मेदारी है । समझा । "

लघु व्यंग्यकथा - शौक

लघु व्यंग्यकथा - शौक
उसे फेशबुक में वायरल सामग्री पोस्ट करने का शौक था । एक बार उसने एक वीडियो पूरा देखा नहीं।पोस्ट कर दिया । जो उसी की खानदान की लड़की का वायरल अश्लील वीडियो था । मगर अब क्या ? उसका शौक....उसे ही खीझे बंदरों की तरह  चिढ़ा रहा रहा ।

बुधवार, 24 जनवरी 2018

लघु व्यंग्य - अंकुश

लघु व्यंग्य -अंकुश
गर्ल्स हॉस्टल की लड़कियों के एक समूह ने अपनी अधीक्षिका के खिलाफ विद्रोह कर दिया ।वे शिकायत हेतु उच्च अधिकारी के पास पहुंची ।उनकी अधीक्षिका उन  पर अंकुश पर अंकुश लगाती हैं ।पीना-खाना, मौज-मस्ती,, घूमने -फिरने और लड़कों के संग दोस्ती पर अंगुलियां उठाती हैं । आखिर वे वयस्क हो गयी हैं ।समझदारी उनमें भी आ चुकी है फिर तरह तरह के अंकुश क्यों .....?"
    गंभीरता से उनकी बातें  सुनते अधिकारी की नजरें पूरी समझदारी के साथ उनके  आकर्षक बदन पर घूमने लगी थीं ।

रविवार, 21 जनवरी 2018

लघु व्यंग्य कथा - प्यार

लघु व्यंग्य कथा-प्यार
प्यार का इजहार करते हुए उसने एक सुन्दर सा फूलों का गुलद्दास्ता देते हुए बोला-" मेरा प्यार तुम्हारे लिए इन फूलों की तरह कोमल,खुशबूदार व रंगीन है ...।"
  "ये फूल तो एक न एक दिन तो सूखेंगे,टूटेंगे और खुशबुएँ भी उड़ जायेंगीं ।फिर.....।" एक कुटिलता भरी मुस्कान उसके होठों पर फ़ैल गयी। और वह निराश हो गया।निराश होता चला गया ।एक दिन प्यार...फूल...खुशबुएँ ..जाने कहाँ बिखर गए। और वह ? पता नहीं ...।

शनिवार, 20 जनवरी 2018

लघुव्यंग्य -टाइम पास

लघुव्यंग्य- टाइम पास
"तू उससे जितना प्यार करती है, ।क्या वह भी  तुझसे उतना ही प्यार करता है ।"
"क्यों नहीं?"देखती नहीं ,रोज मेरे व्हाटस अप में लव मैसेज, फोटो,शेरो- शायरी भेजता है । रोज ब रोज प्यार भरी बातें भी ...। वह अधूरा सा वाक्य बोलते हुए मुस्काई ।
"पहली बार कब और  कहाँ मिली थी उससे ।"
"मिस्ड कॉल के जरिए जुड़ गए । फिर क्या था व्हाट्स अप पर लव चल रहा है ।"
"यानी अभी तक नहीं मिली उससे...। सहेली का आश्चर्य भहरा प्रश्न ।
"नहीं....।"
"कैसी पगली है , उसे देखा न सुना और प्यार कर बैठी । हो न हो, वह तेरी मासूमियत को पहचान कर  टाइम पास गेम की तरह  तेरी भावनाओं से खेल रहा हो ।"
"मैं कौन -सा अपना सब कुछ उस पर  न्यौछावर कर दी । मैं भी तो वही कर रही हूँ । "
"तू तो बड़ी चालाक लोमड़ी निकली रे । प्यार के बहाने टाइम पास....।"
" आजकल प्यार -व्यार में मर-मिटने  का    टाइम किसके पास  है ..। सब टाइम पास है ...। और वह खिलखिलाकर हंस पड़ी । अब सहेली के पास पूछने के लिए कुछ भी शेष नहीं था ।
          - सुनील कुमार सजल

सोमवार, 15 जनवरी 2018

लघुव्यंग्य-थकान

लघुव्यंग्य- थकान
शाम का समय ।पति कादफ्तर से लौटना  ।
पत्नी को चाय बनाने में थोड़ी देर हो गयी ।
"इतनी देर लगा दी बनाने में ..!"
"आज कुछ थकान  सी लग रही है ।"
"सारे कपडे धोये हैं ,बिस्तर के ..।"
"सारे दिन  तो घर में आराम से रहती हो एक दिन के काम में थकान महसूस करने लगी ।हमें देखो दिनभर फाइलों के बीच मगज मारी करते रहते ऊपर से घर का काम भी....। हमारा थकान महसूस करना लाजिमी है
।"
अगले दिन वही  शाम को पति का दफ्तर से लौटना ।
अबकि बार पत्नी ने बिना देर किये झट से चाय बनाकर पेश कर दी ।
"वाह! आज तो बड़ी जल्दी चाय ...लगता है कल की बातों का असर हुआ  है  ।"
"हाँ यही समझों  । आप बहुत थक गए होंगे ..दफ्तर के सामने वाली झोपड़ नुमा  चाय की दुकान में दोस्तों के साथ सिगरेट के छल्ले उड़ाते और चाय की चुस्की के साथ  घण्टे भर तक  दोस्तों के साथ गप्प मारते हुए...।"
"तुम्हें कैसे मालूम क़ि मैं वहां....।"
"आपके दफ्तर के सामने वाले शापिंग मॉल में शर्मा दीदी के साथ घर का किराना खरीदने गयी थी ...।"
पति की नजर अब दूसरी दिशा में घूम गयी थी

रविवार, 14 जनवरी 2018

लघुव्यंग्य- धन्धा

लघुव्यंग्य- धंधा
सब्जी मंडी ।
"दस रुपये किलो टमाटर ..दस रुपये भाईसाब ..सस्ते में दे दिया ...बीस का माल दस में ...।"
तभी एक खरीददार  टमाटर के ढेर में से अच्छे टमाटर छांट कर अलग रखने लगा ।
"भाई जी ऐसे मत छाँटिए ..। विक्रेता ने उसे बीच में  ही टोका ।
"यार , इसमें तो आधे  खराब होते टमाटर हैं एक दिन भी नहीं चलेंगे  ..।"
"आपको जैसा है वैसा लेना पड़ेगा ।"
" सड़ते टमाटर लेकर क्या करूंगा ...।"
"हाँ तो आप आगे की दुकानों में देख लें  ..बीस रुपये  किलो में आपके मन पसंद टमाटर मिल जाएंगे।"
ग्राहक मुंह बनाते हुए आगे बढ़ गया ।
अबकि बार दुकानदार साथी दुकानदार से कह रहा -"नामालूम कहा के घिनहे लोग आ जाते माटी मोल सोना चाहते हैं ...।